मेरी जान तुम्हें मालूम नहीं... इस दिल के दर्द की दास्ताँ... मेरी जान तुम्हें मालूम नहीं... इस दिल के दर्द की दास्ताँ...
मेरी नज़रों में तुम्हें… मिल जाता है अपना जवाब… मेरी नज़रों में तुम्हें… मिल जाता है अपना जवाब…
एक बिंदु में प्रकाश,प्रकाश में असंख्य बिंदु,असंख्य बिंदु चेतना के,चेतना में सच, एक बिंदु में प्रकाश,प्रकाश में असंख्य बिंदु,असंख्य बिंदु चेतना के,चेतना में सच,
ग़ज़ल ग़ज़ल
कभी, ना कहीं कोई बंधन हो… सिर्फ स्मृतियों का स्पंदन हो… कभी, ना कहीं कोई बंधन हो… सिर्फ स्मृतियों का स्पंदन हो…
जिंदगी से कुछ पल चुराकर, जहाँ जाकर, बिठाती खुद को खुद के पास ले जाकर. जिंदगी से कुछ पल चुराकर, जहाँ जाकर, बिठाती खुद को खुद के पास ले जाकर.